SCO 2025: आतंकवाद पर भारत का 'नो कॉम्प्रोमाइज़' स्टैंड - एक कूटनीतिक जीत?

 

SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक 2025: भारत की मुखर कूटनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के झंडे एक वैश्विक मानचित्र पर दिखाए गए हैं। इसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस के झंडे शामिल हैं। यह SCO की क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग की गतिशीलता को दर्शाता है।
"शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों का मानचित्र। 2025 की बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर एक साहसी और मुखर रुख अपनाया, जिसने क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति की गतिशीलता को बदल दिया। पूरी कहानी लेख में पढ़ें।"

क्या भारत ने एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ ‘दोहरे मापदंड’ को खारिज कर दिया?

जून 2025 में चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक ने क्षेत्रीय कूटनीति में एक नया अध्याय लिखा। इस बैठक में भारत का रुख न केवल दृढ़ था, बल्कि यह देश की "आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता" की नीति और "रणनीतिक स्वायत्तता" के सिद्धांत को भी दर्शाता है।

भारत के रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। इस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे का मुख्य कारण था 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने में बयान की विफलता और आतंकवाद की चिंताओं को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करना।

यह कूटनीतिक रुख, ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुखर सैन्य अभियान के साथ मिलकर, यह साबित करता है कि भारत अब बहुपक्षीय मंचों पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता करने को तैयार नहीं है। इस लेख में हम इस बैठक के भू-राजनीतिक निहितार्थ, भारत के सैद्धांतिक रुख और उसके बाद शुरू हुए सैन्य अभियान पर गहराई से चर्चा करेंगे।


1. SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक 2025: एक भू-राजनीतिक अवलोकन

SCO, जिसकी स्थापना मूल रूप से चीन और रूस ने एशिया में अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने के लिए की थी, एक प्रमुख क्षेत्रीय समूह बन गया है। इसका मूलभूत जनादेश आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से लड़ना है, साथ ही आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है। 2025 की बैठक में उठे विवादों को समझने के लिए यह जनादेश बेहद महत्वपूर्ण है।

इस बार की 22वीं वार्षिक बैठक, ईरान-इज़राइल संकट और भारत-पाकिस्तान तनावों के बीच हुई। चीन ने, जो 2025 के लिए SCO का अध्यक्ष था, किंगदाओ में इस दो दिवसीय सत्र की मेज़बानी की। चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून ने अपने भाषण में "एकतरफावाद" और "आधिपत्यवादी प्रथाओं" की आलोचना की, जो चीन की अमेरिका विरोधी विदेश नीति के अनुरूप थी।

हालाँकि, बैठक के घोषित उद्देश्य (आतंकवाद से लड़ना) और इसके परिणामों में एक बड़ा विरोधाभास दिखा। संयुक्त बयान में आतंकवाद का कोई उल्लेख नहीं था, क्योंकि एक "विशेष सदस्य राज्य" ने इस पर आपत्ति जताई थी। यह SCO के अंदर के तनाव को उजागर करता है, जहाँ सदस्यों के द्विपक्षीय हित सामूहिक जनादेश पर भारी पड़ते हैं।


2. भारत का सैद्धांतिक रुख: एक कूटनीतिक मोड़

SCO बैठक में भारत की भागीदारी को संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से उसके दृढ़ इनकार ने परिभाषित किया। इस निर्णय का सीधा संबंध पहलगाम आतंकी हमले से था।

पहलगाम आतंकी हमला: एक विस्तृत विवरण

22 अप्रैल, 2025 को, जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के पास बैसरन घाटी में एक जघन्य आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए, जिनमें से ज़्यादातर हिंदू थे। हमलावरों ने कथित तौर पर गोलीबारी करने से पहले पीड़ितों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी, जो इसे सांप्रदायिक नफरत फैलाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास बनाता है। हमले की जिम्मेदारी शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रॉक्सी, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। भारत ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया।

संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर से भारत का इनकार: कारणों का विश्लेषण

राजनाथ सिंह का संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने का प्राथमिक कारण पहलगाम हमले का बयान में उल्लेख न होना था। भारत के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि भारत ने "आतंकवाद पर चिंताओं" को शामिल करने की मांग की थी, लेकिन यह एक "विशेष देश" (संकेत में पाकिस्तान, और उसका समर्थन करने वाला चीन) को मंज़ूर नहीं था।

राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि बयान "पाकिस्तान के आख्यान के अनुकूल" था, क्योंकि इसमें बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों का ज़िक्र हो सकता था, लेकिन पहलगाम हमले का नहीं। राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में "दोहरे मापदंडों" के लिए कोई जगह न होने पर ज़ोर दिया और आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।

रणनीतिक स्वायत्तता का सिद्धांत

भारत का यह कदम उसकी "रणनीतिक स्वायत्तता" के सिद्धांत का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह सिद्धांत भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, भले ही वह किसी बहुपक्षीय मंच पर हो। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह संगठनात्मक सद्भाव के लिए अपने मूल राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांतों, विशेषकर "शून्य-सहिष्णुता नीति," से समझौता नहीं करेगा। यह कदम अन्य देशों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है कि वे भी अपने राष्ट्रीय हितों को अधिक दृढ़ता से मुखर करें।


तालिका 1: SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक 2025 तक की प्रमुख घटनाएँ

तिथि

घटना

मुख्य विवरण

22 अप्रैल, 2025

पहलगाम आतंकी हमला

26 भारतीय हिंदू पर्यटक मारे गए; धार्मिक रूप से लक्षित; पाकिस्तान समर्थित LeT प्रॉक्सी, TRF पर आरोप।

7 मई, 2025 (और बाद के दिन)

ऑपरेशन सिंदूर का शुभारंभ

नियंत्रण रेखा (LoC) और पाकिस्तान के भीतर आतंकी बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए भारत की सटीक सैन्य प्रतिक्रिया।

26-27 जून, 2025

SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक, किंगदाओ, चीन

पहलगाम हमले को छोड़ने के कारण संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से भारत का इनकार; बैठक के दौरान महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें।

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